उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित शादी अनुदान योजना राज्य के आर्थिक रूप से कमजोर ओबीसी और बीपीएल परिवारों को उनकी बेटियों की शादी के लिए ₹20,000 की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस योजना से अब तक लगभग 1 लाख लाभार्थियों को सहायता मिल चुकी है।
योजना की मुख्य विशेषताएं
पैरामीटर | विवरण |
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वित्तीय सहायता राशि | ₹20,000 प्रति विवाह |
लाभार्थी वर्ग | ओबीसी/बीपीएल परिवार |
आयु सीमा | कन्या की आयु 18 वर्ष से अधिक |
कवरेज | पूरे उत्तर प्रदेश में |
कुल लाभार्थी (2024 तक) | ~1 लाख परिवार |
पात्रता मानदंड
- पारिवारिक स्थिति:
- केवल ओबीसी/बीपीएल श्रेणी के परिवार
- परिवार की वार्षिक आय ₹2 लाख से कम
- आयु संबंधी शर्त:
- कन्या की आयु विवाह के समय कम से कम 18 वर्ष
- वर की आयु कम से कम 21 वर्ष
- अन्य शर्तें:
- परिवार में अधिकतम 2 बेटियों को लाभ
- विवाह का पंजीकरण अनिवार्य
आवश्यक दस्तावेज
- आधार कार्ड (कन्या और माता-पिता)
- जाति प्रमाण पत्र (ओबीसी प्रमाणपत्र)
- बीपीएल राशन कार्ड/आय प्रमाण पत्र
- विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र
- बैंक खाता विवरण (कन्या/माता के नाम)
- पासपोर्ट साइज फोटो (3 कॉपी)
आवेदन प्रक्रिया
ऑनलाइन आवेदन
- UP सामाजिक कल्याण विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं
- ‘शादी अनुदान योजना’ सेक्शन में आवेदन करें
- सभी आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें
- आवेदन संख्या नोट कर लें
ऑफलाइन आवेदन
- नजदीकी तहसील कार्यालय/ग्राम पंचायत से फॉर्म प्राप्त करें
- संलग्न दस्तावेजों के साथ जमा करें
- आवेदन की स्थिति 15 दिनों में जांचें
लाभ प्राप्त करने की प्रक्रिया
- आवेदन सत्यापन (15 कार्य दिवस)
- जिला स्तर पर अनुमोदन
- सीधे बैंक खाते में धनराशि हस्तांतरण
- SMS/पत्र के माध्यम से सूचना
योजना का प्रभाव
- 1 लाख से अधिक परिवारों को वित्तीय सहायता
- बाल विवाह में कमी (18% की गिरावट)
- ओबीसी समुदाय के आर्थिक बोझ में कमी
- डिजिटल भुगतान प्रणाली से पारदर्शिता
संपर्क सूचना
- हेल्पलाइन नंबर: 1800-180-5147
- आधिकारिक वेबसाइट: socialwelfare.up.nic.in
- जिला सामाजिक कल्याण अधिकारी से संपर्क करें
निष्कर्ष
शादी अनुदान योजना उत्तर प्रदेश सरकार की एक सराहनीय पहल है जो समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने में मदद कर रही है। ₹20,000 की यह सहायता राशि गरीब परिवारों के लिए विवाह के आर्थिक बोझ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह योजना सामाजिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।